लेखक: डॉ हिमांशु शेखर, पुणे
दिनांक 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद राम कथा की बाढ़ आ गई है। राम कथा में कई प्रकार की विसंगतियां भी देखने को मिली हैं। उनमें से एक दृष्टांत है शबरी के जूठे बेरो का। क्या वास्तव में भगवान राम ने शबरी के जूठे बेर खाए थे?
अगर आपको टीवी पर आने वाला रामायण सीरियल याद होगा तो जब यह कथा शबरी के आश्रम में पहुंची थी, तब इसके निर्देशक रामानंद सागर ने कहा था कि इस घटना का जिक्र राम कथा के 5 मूल ग्रंथों में नहीं दिखता है। ये पांच ग्रंथ उनके हिसाब से थे – वाल्मीकि रामायण, महाकवि तुलसीदास की श्री रामचरितमानस, तमिल का कंबन रामायण, तेलुगु का रंगनाथ रामायण, और बंगाल का कृतिवास रामायण । इन सब में भगवान श्री राम को शबरी द्वारा जूठे बेर देने का जिक्र नहीं है।
आइए, एक बार उस प्रकरण को इन राम कथाओं में खोजने की चेष्टा करें, जहां शबरी के आश्रम में भगवान राम और लक्ष्मण जाते हैं। उनकी आवभगत माता शबरी किस प्रकार करती हैं, इसपर एक नजर डालते हैं।
मातंग ऋषि के आश्रम में शबरी द्वारा भगवान राम और लक्ष्मण की सेवा सत्कार किस तरह की गई? वाल्मीकि रामायण में इस संदर्भ में लिखा हुआ है –